महाराष्ट्र चुनाव: 4,136 उम्मीदवार, 288 सीटें और शहरी उदासीनता का सवाल
20 नवंबर को मतदान से पहले, महाराष्ट्र के मतदाताओं के पास सत्ता की दिशा बदलने का मौका है, जहां हर सीट महत्वपूर्ण है।
जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, सत्तारूढ़ महालगुट (NDA) और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (I.N.D.I.A.) दोनों अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। दोनों गुटों का मानना है कि वे 288 सीटों वाले विधानसभा में 170 के जादुई आंकड़े को पार कर लेंगे। लेकिन राजनीतिक प्रचार से इतर एक अहम सवाल उठता है: क्या शहरी क्षेत्रों के मतदाता अपनी उदासीनता को तोड़ेंगे, या फिर कम मतदान के कारण नतीजे पर असर पड़ेगा?
महाराष्ट्र की जटिल राजनीति
महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य हमेशा से जटिल रहा है। 2014 में कांग्रेस के पतन के बाद, कोई भी पार्टी उस खाली स्थान को भरने में सक्षम नहीं रही।
- औसत मतदान:
- राज्य में पिछले 13 विधानसभा चुनावों में औसत मतदान 62.2% रहा है।
- 1995 में सबसे ज्यादा 71.6% और 1980 में सबसे कम 53.3% मतदान हुआ।
- शहरी क्षेत्रों में उदासीनता:
- मुंबई, नागपुर, पुणे जैसे बड़े शहरों में मतदान औसत से कम रहता है।
- 2019 विधानसभा चुनाव में 64 शहरी क्षेत्रों में से 62 में मतदान राज्य के औसत से कम था।
हालांकि, हाल के वर्षों में मुंबई में मतदान थोड़ा बढ़ा है और यह 50% के आंकड़े को पार कर चुका है।
चुनाव का बड़ा परिदृश्य
- इस बार 288 विधानसभा सीटों के लिए कुल 4,136 उम्मीदवार मैदान में हैं।
- निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या: 2,086 (कुल उम्मीदवारों का लगभग आधा)।
- प्रमुख पार्टियों का हिस्सा:
- भाजपा: 149 सीटें
- शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट): 81 सीटें
- अजित पवार गुट का राकांपा: 59 सीटें
- कांग्रेस: 101 सीटें
- शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट): 95 सीटें
- शरद पवार गुट का राकांपा: 86 सीटें
राजनीतिक महत्व
- कांग्रेस के लिए:
- यह चुनाव कांग्रेस और I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए निर्णायक होगा।
- राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।
- प्रधानमंत्री मोदी के लिए:
- महाराष्ट्र में जीत से NDA की स्थिति मजबूत होगी, खासकर इस साल लोकसभा में घटे हुए आंकड़ों के बाद।
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नतीजे पर प्रभाव डालने वाले कारक
- गठबंधन और वोटों का विभाजन:
- निर्दलीय उम्मीदवार और वोटों का बंटवारा चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकता है।
- चुनावी नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को होगा, जो यह बताएगा कि ये सभी गतिशीलताएं महाराष्ट्र की राजनीति को किस दिशा में ले जाती हैं।