Amid Severe Pollution - Delhi One House Maintaining AQI -10 TO 15 planting Trees - 15000

 दिल्ली की जहरीली हवा में भी यह घर बनाए रखता है AQI 10-15, 15,000 पौधों का कमाल

स्मॉग और प्रदूषण से घिरे दिल्ली में, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर चला जाता है, साउथ दिल्ली के सैनिक फार्म्स में स्थित एक घर पर्यावरणीय स्थिरता का उदाहरण बन गया है।

मुख्य बातें (Highlights):

  • AQI सिर्फ 10-15: 15,000 से अधिक पौधों और टिकाऊ तकनीकों की मदद से घर की हवा का AQI बेहद कम रहता है।
  • पारंपरिक निर्माण: सीमेंट के बजाय चूने का उपयोग और आधुनिक पेंट की जगह पारंपरिक चूने का प्रयोग किया गया।
  • छत का विशेष डिज़ाइन: कंक्रीट के स्लैब के बजाय पत्थर की टाइल्स से बनी छत, जो गर्मियों में घर को ठंडा बनाए रखती है।
  • सौर ऊर्जा और जल संरक्षण: घर सौर ऊर्जा से चलता है और बारिश के पानी को इकट्ठा कर पुनः उपयोग करता है।
  • जैविक खेती और खाद: घर में ही सब्जियां उगाई जाती हैं और जैविक खाद के लिए पराली का उपयोग किया जाता है।



खबर का विवरण:

दिल्ली के सैनिक फार्म्स में पीटर सिंह और नीनो कौर का घर प्रदूषण के खिलाफ एक मिसाल बनकर उभरा है। इस घर का AQI सिर्फ 10-15 तक रहता है, जो दिल्ली की जहरीली हवा में असंभव सा लगता है।

पारंपरिक और टिकाऊ निर्माण:
इस घर को पारंपरिक तरीकों से बनाया गया है। यहां सीमेंट और प्लास्टर की जगह चूने का उपयोग किया गया है, और छत पत्थर की टाइल्स से बनाई गई है। यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि गर्मियों में घर को ठंडा भी बनाए रखता है।

15,000 पौधों का योगदान:
घर में मौजूद 15,000 पौधे न केवल वातावरण को हरा-भरा बनाते हैं, बल्कि घर के भीतर की हवा को भी शुद्ध रखते हैं।

ऊर्जा और जल संरक्षण:
यह घर पूरी तरह सौर ऊर्जा पर आधारित है और बारिश के पानी को 15,000 लीटर के टैंक में एकत्र करता है, जो पौधों की सिंचाई के लिए उपयोग होता है।

जैविक खेती और पराली का उपयोग:
घर में सब्जियां जैविक तरीके से उगाई जाती हैं। पराली को जैविक खाद में बदलकर इसका उपयोग मशरूम उगाने में किया जाता है।

प्रेरक कहानी:
इस घर की कहानी नीनो कौर के स्वास्थ्य से जुड़ी है। जब उन्हें ब्लड कैंसर का पता चला, तो कीमोथेरेपी के बाद उनके फेफड़ों ने दिल्ली की प्रदूषित हवा को सहन करना बंद कर दिया। डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली छोड़ने की सलाह दी, लेकिन एक आयुर्वेद विशेषज्ञ ने पूरी तरह से जैविक जीवन अपनाने का सुझाव दिया।

गोवा में कुछ समय बिताने के बाद, उन्होंने दिल्ली लौटकर अपने घर को एक स्वच्छ, आत्मनिर्भर स्वर्ग में बदल दिया।

निष्कर्ष:
आज यह घर प्रदूषण के बीच हरे-भरे जीवन का प्रतीक बन गया है। यह प्राचीन तकनीकों और आधुनिक स्थिरता का संगम है, जो दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में भी स्वस्थ जीवन की राह दिखाता है।

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