Iran and Israel - Situation - Current war and future Prediction - News in Hindi

 ईरान-इजराइल संघर्ष: युद्ध की स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

मुख्य बिंदु:

  • इजराइल: युद्ध शुरू करने की स्थिति में, लेकिन इसे खत्म करने की क्षमता नहीं है।
  • ईरान: मिसाइल हमलों से क्षेत्रीय युद्ध के करीब।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: इजराइल के साथ खड़ा है, लेकिन युद्ध से बचने की कोशिश कर रहा है।


मौजूदा संकट और संभावित परिणाम

मध्य पूर्व में हाल के तनावों ने ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की संभावना को और भी बढ़ा दिया है। प्रोफेसर वली नसर, जो मध्य पूर्व की राजनीति और अमेरिकी विदेश नीति के विशेषज्ञ हैं, का मानना है कि इजराइल एक युद्ध शुरू करने की स्थिति में तो है, लेकिन इसे खत्म करने की स्थिति में नहीं है। नसर के अनुसार, ईरान के खिलाफ किसी भी सैन्य आक्रमण से पूरे क्षेत्र में युद्ध फैल सकता है, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका को भी इसमें सीधे तौर पर शामिल होना पड़ सकता है।

ईरान का मिसाइल हमला

हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद, ईरान ने इजराइल पर मिसाइल हमले किए, जो ईरान की सैन्य क्षमताओं और उसकी इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हैं। प्रोफेसर नसर का मानना है कि इस समय ईरान का उद्देश्य इजराइल को पूरी तरह से नष्ट करना नहीं है, बल्कि यह दिखाना है कि ईरान के पास इजराइल को लक्षित करने की क्षमता है। यह हमला एक प्रकार से ईरान की शक्ति का संकेत था, और इसका मुख्य संदेश इजराइल के नागरिकों को था, जो अब तक आयरन डोम सुरक्षा प्रणाली पर भरोसा करते थे। ईरान यह संदेश देना चाहता था कि उसके मिसाइल आयरन डोम से बच सकते हैं और इजराइल की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएं

इजराइल और ईरान अब एक संभावित सैन्य टकराव की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि, यह तात्कालिक रूप से नहीं हो सकता, लेकिन अगर मध्य पूर्व की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया और संयुक्त राज्य अमेरिका क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता, तो दोनों देशों के बीच सीधे संघर्ष की संभावना बढ़ जाएगी। यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इसमें अमेरिका को भी अपनी सैन्य भूमिका निभानी होगी, जो पहले से ही इस क्षेत्र में मौजूद है और इजराइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्षेत्रीय स्थिरता पर असर

यदि यह युद्ध भड़कता है, तो इसका खाड़ी देशों की स्थिरता और आर्थिक समृद्धि पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्थाएं, जो मुख्य रूप से पर्यटन और उद्योगों पर निर्भर हैं, युद्ध के प्रभाव से अछूती नहीं रह सकतीं, भले ही उनकी सरकारें सीधे तौर पर इसमें शामिल न हों। कई अमेरिकी सैन्य ठिकाने खाड़ी देशों में स्थित हैं, और यदि अमेरिका ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करता है, तो ईरान इन सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकता है। इसका परिणाम यह होगा कि क़तर, यूएई, कुवैत, और ओमान जैसे देशों को भी इस युद्ध में शामिल होना पड़ेगा। इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता को गंभीर खतरा हो सकता है।

इजराइल की रणनीति और उसकी सीमाएं

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इजराइल का ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट करने का कोई भी प्रयास वास्तविकता से परे है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम इतना जटिल और व्यापक है कि इसे पूरी तरह से नष्ट करना इजराइल के लिए संभव नहीं है। इससे उल्टे, यदि इजराइल ने हमला किया, तो ईरान का परमाणु कार्यक्रम और भी भूमिगत हो जाएगा, जिससे उसे पूरी तरह से नष्ट करना और मुश्किल हो जाएगा। यह भी संभावना है कि ईरान परमाणु अप्रसार संधि से बाहर निकल जाए और खुलकर खुद को परमाणु शक्ति घोषित कर दे, जिससे पूरे क्षेत्र में परमाणु हथियारों का प्रसार बढ़ जाएगा।

इजराइल और अमेरिका के बीच संभावित तनाव

अमेरिका के 2024 के राष्ट्रपति चुनावों से पहले ईरान-इजराइल संघर्ष का मुद्दा घरेलू राजनीति में भी अहम भूमिका निभा सकता है। हालांकि, अगर यह संघर्ष और अधिक नहीं बढ़ता है, तो यह संभावना नहीं है कि यह मुद्दा चुनावों में प्रमुख रूप से उभरेगा। डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं के लिए यह मुद्दा चुनावी फायदेमंद हो सकता है, खासकर अगर अमेरिकी मतदाताओं के बीच यह भावना मजबूत हो जाती है कि अमेरिका को युद्ध में खींचा जा रहा है।

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निष्कर्ष

मध्य पूर्व इस समय एक गंभीर और संभावित विनाशकारी मोड़ पर खड़ा है। इस संघर्ष को रोकने के लिए अमेरिका और अन्य शक्तियों को कदम उठाने होंगे, वरना क्षेत्रीय अस्थिरता का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ सकता है। भारत, चीन, और रूस जैसे देशों के लिए, जिनके खाड़ी क्षेत्र में महत्वपूर्ण आर्थिक हित हैं, इस युद्ध का प्रभाव गंभीर हो सकता है, और उन्हें भी अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

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