Muslim Delegation Oppose Waqf Bill in JPC Meeting

 वक्फ संशोधन विधेयक का मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल ने किया विरोध, JPC बैठक में जताई आपत्ति

  • मुख्य बिंदु:
    • मुस्लिम प्रतिनिधियों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ आपत्ति जताई।
    • विधेयक को असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ बताया गया।
    • विधेयक के खिलाफ करीब 6 करोड़ मुस्लिमों द्वारा विरोध किए जाने का दावा।
    • वक्फ भूमि पर गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और CEO के पद से मुस्लिम प्रतिनिधि को हटाने का विरोध।
    • सरकार से विधेयक को वापस लेने की मांग और सामाजिक मीडिया पर भ्रामक दावों पर नियंत्रण की अपील।


मुंबई में मुस्लिम बुद्धिजीवियों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ बताया। इस विरोध के दौरान, प्रतिनिधियों ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से मुलाकात की और विधेयक के खिलाफ अपना पक्ष रखा। यह बैठक विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी, जो वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव लाने का प्रयास कर रहा है।

प्रतिनिधिमंडल ने इस विधेयक को पूरी तरह अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि यह वक्फ भूमि पर गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और CEO के पद से मुस्लिम प्रतिनिधि को हटाने का रास्ता साफ करता है, जिससे मुस्लिम समुदाय के हितों को नुकसान होगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह विधेयक वक्फ भूमि पर अवैध कब्जे को बढ़ावा देगा।

JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल और प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक के दौरान तीखी बहस भी हुई। मुस्लिम समुदाय ने विधेयक को वापस लेने की मांग की, और दावा किया कि 6 करोड़ मुस्लिमों ने इस विधेयक का विरोध किया है। इस पर JPC अध्यक्ष ने कहा कि यह विरोध एक अभियान का परिणाम है।

प्रतिनिधियों ने वक्फ भूमि के अवैध कब्जे और सरकार की जिम्मेदारी पर भी चर्चा की, साथ ही सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रामक दावों का खंडन किया। उनका कहना था कि वक्फ भूमि धर्मार्थ और सामाजिक कल्याण के उद्देश्यों के लिए समर्पित निजी संपत्ति होती है, और इसका किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग अस्वीकार्य है।

बैठक के दौरान, मुस्लिम समुदाय ने आशा व्यक्त की कि JPC सरकार तक उनके विचारों को पहुंचाएगी और इस विधेयक को खारिज करने की सिफारिश करेगी। अगर विधेयक पारित किया गया, तो समुदाय ने इसे संवैधानिक तरीकों से चुनौती देने का इरादा जताया।

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विधेयक को अगस्त में संसद में पेश किया गया था, जिसे विपक्षी दलों द्वारा "असंवैधानिक" और "विभाजनकारी" बताया गया था।

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