Bengal Anti Rape Legal but need president approval

 बंगाल का एंटी-रेप बिल कानूनी रूप से मान्य, राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक: विशेषज्ञ


कानूनी विशेषज्ञों ने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार का राज्य विधानसभा में एंटी-रेप बिल पेश करने का निर्णय संवैधानिक रूप से मान्य है, लेकिन इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

मुख्य बिंदु:

  • संवैधानिक वैधता: बिल संवैधानिक रूप से मान्य है लेकिन इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता है।
  • मृत्युदंड का प्रावधान: बिल में बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड और बलात्कार मामलों के लिए समयबद्ध परीक्षण की मांग की गई है।
  • जन आक्रोश: यह बिल 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के जवाब में लाया गया है।
  • कानूनी प्रक्रिया: संविधान के अनुच्छेद 254(2) के तहत, राज्य कानून जो समवर्ती सूची के मामलों पर केंद्रीय कानूनों का विरोध करते हैं, उन्हें लागू होने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त करनी होगी।
  • मुख्यमंत्री का रुख: ममता बनर्जी ने इस कानून की अहमियत पर जोर देते हुए आरोपी के लिए मृत्युदंड सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है।


पश्चिम बंगाल सरकार मंगलवार को यह बिल पेश करने जा रही है, जो 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के खिलाफ जन आक्रोश के बाद लाया गया है। इस बिल में बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड और त्वरित परीक्षण सुनिश्चित करने का प्रावधान है।

हालांकि राज्य सरकार के पास इस तरह के संशोधन का प्रस्ताव करने का अधिकार है, लेकिन केंद्रीय आपराधिक कानूनों से विचलन के कारण इसे राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी। संविधान के अनुच्छेद 254(2) के अनुसार, समवर्ती सूची के मामलों पर केंद्रीय कानूनों का विरोध करने वाले राज्य कानूनों को राज्य में लागू होने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी आवश्यक होती है।

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी के लिए मृत्युदंड सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए इस विधायी कदम की अहमियत पर जोर दिया है।

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