Nawaz Sharif -said - If PM Modi visited that would be Great

 Exclusive: पाकिस्तान दौरे की शुरुआत, अगर PM मोदी आते तो अच्छा होता - नवाज़ शरीफ़

मुख्य बिंदु:

  • एस जयशंकर के पाकिस्तान दौरे से भारत-पाक संबंधों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद।
  • पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उम्मीद जताई कि दोनों देश अतीत को भुलाकर भविष्य की चुनौतियों का सामना साथ मिलकर करेंगे।
  • शरीफ ने शांति प्रक्रिया फिर से शुरू करने की अपील की और पीएम मोदी के आने की इच्छा जताई।
  • जयशंकर ने पाकिस्तान के प्रति आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के मुद्दों पर भी कड़ा रुख अपनाया।


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उम्मीद जताई कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस्लामाबाद दौरे से दोनों देशों के बीच अतीत को भुलाकर भविष्य की समस्याओं जैसे ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने का अवसर मिलेगा।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए 16 अक्टूबर को पाकिस्तान गए जयशंकर के इस दौरे से भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की उम्मीदें जगी हैं। इंडिया टुडे से बात करते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि जयशंकर के इस्लामाबाद दौरे के साथ दोनों देश अतीत को पीछे छोड़कर भविष्य की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

शरीफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच शांति प्रक्रिया फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि दोनों देशों को इसे बाधित नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा, "जहां से हमने छोड़ा था, वहीं से शुरुआत करनी चाहिए।"

उन्होंने यह भी कहा, "75 साल ऐसे ही निकल गए। चलिए, अब 75 साल और बर्बाद न करें।" शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एससीओ बैठक में भागीदारी की इच्छा भी जताई, कहते हुए, "काश मोदी आए होते।" उन्होंने यह भी कहा, "हम अपने पड़ोसियों को बदल नहीं सकते। हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए।"

जयशंकर ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष इसहाक डार, जो नवाज शरीफ के करीबी माने जाते हैं, से मुलाकात की। बैठक के दौरान जयशंकर ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इन "तीन बुराइयों" से सीमापार गतिविधियां व्यापार, कनेक्टिविटी और ऊर्जा प्रवाह को बढ़ावा नहीं दे सकतीं।

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जयशंकर ने अपने बयान में कहा, "हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखें। अगर सीमाओं के पार की गतिविधियाँ आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़ी होंगी, तो वे व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, कनेक्टिविटी और जनसंपर्क में सुधार की संभावनाओं को कमजोर कर देंगी।"

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