तेलंगाना मुख्यमंत्री राहत कोष घोटाले में दो गिरफ्तार
तेलंगाना के नलगोंडा जिले में मुख्यमंत्री राहत कोष (सीएमआरएफ) से जुड़े एक कथित घोटाले में शामिल होने के आरोप में पुलिस ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों पर जरूरतमंद मरीजों की मदद के लिए पेश किए जाने वाले नकली मेडिकल बिल जमा कर सरकारी धन का गबन करने का आरोप है।
मुख्य बिंदु:
- आरोपियों ने सरकारी धन को गबन करने के लिए फर्जी मेडिकल बिल जमा किए।
- नकली बिल बनाए गए, प्रति आवेदन ₹4,000 वसूले गए।
- आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया; जांच जारी है।
इस घोटाले का पर्दाफाश 23 अगस्त को तब हुआ जब राज्य राजस्व विभाग ने तेलंगाना के विभिन्न अस्पतालों द्वारा जमा किए गए सीएमआरएफ आवेदनों में धोखाधड़ी की आशंका जताई। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में 46 वर्षीय मेडिकल प्रैक्टिशनर गोटी गिरी और 40 वर्षीय अस्पताल पर्यवेक्षक लेकी रेड्डी सईदी रेड्डी शामिल हैं। इन्हें मीर्यालगुड़ा में स्थानीय प्रिंटिंग शॉप्स से डॉक्टरों और अस्पतालों की नकली मुहरों और कंप्यूटर का उपयोग कर नकली सीएमआरएफ बिल बनाने का दोषी पाया गया।
इन दोनों ने प्रत्येक आवेदन के लिए ₹4,000 वसूले और नलगोंडा के अम्मा अस्पताल और मीर्यालगुड़ा के नवीन मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के नाम पर 19 फर्जी दावे पेश किए। पुलिस ने जांच के दौरान महत्वपूर्ण साक्ष्य जब्त किए, जिनमें नकली मेडिकल बिलों की सॉफ़्ट कॉपी वाला कंप्यूटर हार्ड डिस्क, नकली मुहरें और लेटरहेड शामिल हैं।
दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। जांच जारी है, और अधिकारी इस घोटाले में शामिल अन्य लोगों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए काम कर रहे हैं। इस घोटाले में कथित रूप से शामिल 27 अस्पतालों की आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा जांच की जा रही है, जिनमें से छह अस्पतालों के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
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इस जांच की शुरुआत मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के अनुरोध पर की गई, जिन्होंने सीएमआरएफ के प्रबंधन में पिछले प्रशासन के दौरान हुई संभावित जालसाजी और धोखाधड़ी को लेकर चिंताओं का जवाब दिया था।