Terrorist Fires on Sukhbir Singh Badal in Golden Temple

 पूर्व आतंकवादी ने स्वर्ण मंदिर में अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाई

स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में बुधवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर एक पूर्व बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) आतंकवादी ने गोली चलाई। गोलीबारी करने वाले आरोपी की पहचान नरायण सिंह चौरा के रूप में हुई है।


मुख्य बिंदु (Highlights):

  • घटना स्थल: यह घटना स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर हुई, जब सुखबीर बादल धार्मिक सज़ा के तहत गार्ड की ड्यूटी कर रहे थे।
  • हमलावर की पहचान: आरोपी नरायण सिंह चौरा, बब्बर खालसा इंटरनेशनल का पूर्व आतंकवादी, 1984 में पाकिस्तान भागा था और पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में शामिल था।
  • सुखबीर सिंह बादल सुरक्षित: बादल सुरक्षित हैं। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत कार्रवाई कर हमलावर को काबू में कर पुलिस के हवाले कर दिया।
  • पिछला अपराध: चौरा 2004 के बुरैल जेलब्रेक केस में आरोपी है, जिसमें उसने 94 फुट लंबी सुरंग खोदकर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को फरार करने में मदद की थी।
  • सुरक्षा पर सवाल: कांग्रेस और भाजपा ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए, वहीं पुलिस ने दावा किया कि सुरक्षा प्रबंध उचित थे।



खबर का विवरण:

बुधवार को स्वर्ण मंदिर में सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने की घटना उस समय हुई जब वे अकाल तख्त द्वारा दी गई धार्मिक सज़ा के तहत गार्ड की ड्यूटी कर रहे थे। नरायण सिंह चौरा, जो पहले पाकिस्तान भागकर हथियारों की तस्करी और विद्रोही साहित्य लिखने में शामिल था, ने इस घटना को अंजाम दिया।

घटना का वीडियो:
वीडियो में देखा गया कि व्हीलचेयर पर बैठे सुखबीर बादल, नीले 'सेवादार' की पोशाक में भाले के साथ, गोली से बचने के लिए झुकते हुए नजर आए। पास में मौजूद मंदिर के अधिकारियों ने हमलावर को तुरंत काबू में कर लिया।

राजनीतिक विवाद:
घटना के बाद पंजाब में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया। कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने इसे "100% प्रशासनिक लापरवाही" बताया और एसीपी को निलंबित करने की मांग की।

वड़िंग ने कहा, "पंजाब में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है। एसीपी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। किसी की हत्या का इंतजार क्यों किया जा रहा है? सिखों के मन में सुखबीर बादल के प्रति नाराजगी हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन पर गोली चलाई जाए।"


पृष्ठभूमि:

यह घटना उस समय हुई जब सुखबीर बादल ने अकाल तख्त के आदेश पर स्वर्ण मंदिर में गार्ड ड्यूटी शुरू की थी। यह आदेश 2007 से 2017 के दौरान अकाली दल सरकार के कार्यकाल में हुई गलतियों, विशेषकर कोटकपूरा गोलीकांड और बेअदबी की घटनाओं के लिए दिया गया था।

इसके अलावा, अन्य अकाली दल के नेताओं को सामुदायिक रसोई में सेवा करने और शौचालय साफ करने का आदेश दिया गया था।

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निष्कर्ष:
सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने की यह घटना पंजाब की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह घटना केवल धार्मिक सज़ा के दौरान हुई हिंसा नहीं है, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक असफलता का भी संकेत देती है।

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