दिल्ली के लिए किसानों का मार्च आज फिर होगा शुरू, केंद्र पर बातचीत न करने का आरोप
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर बातचीत की कोई इच्छा न रखने का आरोप लगाया है और घोषणा की है कि 100 सदस्यीय समूह पंजाब-हरियाणा सीमा के शंभू से दिल्ली के लिए मार्च करेगा।
मुख्य बिंदु (Highlights):
- दिल्ली मार्च का पुनः प्रयास: किसानों का 101 सदस्यीय समूह 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेगा।
- सुरक्षा कड़ी: पंजाब-हरियाणा सीमा पर चार-स्तरीय सुरक्षा, बैरिकेड्स, और धारा 163 (पूर्व में धारा 144) के तहत प्रतिबंध लागू।
- किसानों की प्रमुख मांगें:
- एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी।
- किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन।
- बिजली दरों में वृद्धि पर रोक।
- 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय।
- 2020-21 विरोध प्रदर्शनों में मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा।
घटनाक्रम का विवरण:
रविवार को पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे। यह मार्च शुक्रवार के प्रयास के बाद हो रहा है, जब पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर किसानों को रोका था।
किसानों ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह बातचीत करने के बजाय बल प्रयोग कर रही है।
सुरक्षा इंतजाम:
- खनौरी सीमा को चार-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत सील कर दिया गया है।
- शंभू बॉर्डर पर भी भारी सुरक्षा तैनात है।
- धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है।
किसान नेताओं के बयान:
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक बातचीत के लिए कोई संपर्क नहीं किया है।
- एमएसपी पर गारंटी:
पंधेर ने कहा, "हम एमएसपी पर कानूनी गारंटी मांग रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार चुप्पी साधे हुए है।" - बीजेपी नेताओं का विरोध:
पंधेर ने पंजाब में बीजेपी नेताओं के प्रवेश का विरोध करने का आह्वान किया।
"हमने सुना है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अमृतसर जा रहे हैं। हम पंजाब के किसानों से उनके प्रवेश का विरोध करने का आह्वान करते हैं।" - आप सरकार पर आरोप:
पंधेर ने भगवंत मान की पंजाब सरकार पर केंद्र के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया।
पिछले प्रयास:
किसान इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास कर चुके हैं।
- पिछला विरोध:
शुक्रवार को शंभू सीमा पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर किसानों को रोका। आंसू गैस के गोले दागने के बाद किसान पंजाब लौटने पर मजबूर हुए।
किसानों की मांगें:
- एमएसपी की कानूनी गारंटी।
- किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन।
- बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक।
- लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय।
- 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम की बहाली।
- 2020-21 विरोध प्रदर्शनों में मारे गए किसानों के लिए मुआवजा।
निष्कर्ष:
किसानों का यह मार्च केंद्र सरकार की नीतियों और संवादहीनता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम और बढ़ते तनाव के बीच, यह देखना होगा कि किसानों और सरकार के बीच कोई समाधान निकलता है या नहीं।